आयरलैंड में आज गर्भपात को कानूनन वैध बनाने के लिए जनमत संग्रह, 7 साल पहले भारतीय महिला की मौत ने रखी थी बदलाव की नींव
डबलिन. आयरलैंड में आज महिलाओं के गर्भपात (अबॉर्शन) से जुड़े नियमों को बदलने के लिए जनमत संग्रह का आयोजन किया गया है। आयरलैंड दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शुमार है, जहां गर्भपात कानून सबसे कड़े हैं। नियमों के मुताबिक, अब तक यहां महिला का गर्भपात सिर्फ कुछ विषम परिस्थितियों में ही किया जाता है। इसके चलते देश के कई नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। 2013 में सविता नाम की एक भारतीय महिला की इन्हीं नियमों की वजह से मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद ही आयरलैंड में गर्भपात कानून पर चर्चा शुरू हुई थी। देश में पहली बार फैसला लिया गया था कि मां की जान बचाने के लिए अगर जरूरी हुआ तो गर्भपात किया जाना चाहिए। पिछले ही साल भारतीय मूल के लियो वरादकर ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कानून पर जनमत संग्रह का ऐलान कर दिया था। बिगड़ती हालत के बावजूद नहीं किया गया था सविता का अबॉर्शन - अक्टूबर 2012 में 31 साल की सविता हलप्पनवार गालावे शहर के एक अस्पताल में गर्भपात के लिए भर्ती हुई थीं। वे 17 हफ्तों की गर्भवती थीं। अस्पताल ने कानून का हवाला देते हुए उसके इलाज से इनकार कर...
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